सीबीआई में आंतरिक घमासान मचा ही है साथ में राजनीतिक स्टंट भी चालू है। लेकिन कुछ प्रश्न ऐसे भी है जिनपर न मीडिया चर्चा कर रहा है न ही बुद्दिजीवी बोलने को तैयार है। सीबीआई डायरेक्टर को हटाया गया यह नेताओं और मीडिया को पहले पता चल गया और उधर सीबीआई सफाई देती रही कि ऐसी कोई बात है ही नही उन्हें सिर्फ छुट्टी पर भेजा गया है।
प्रश्न कई खड़े होते है जो कहीं न कहीं सीबीआई की साख पर बट्टा लगाते है और राज नेताओं की पोल भी खोलते हैं।
★पहला प्रश्न यह है कि क्या जब सीबीआई डायरेक्टर को PM, CJI तथा LOP चुनते है तो क्या सीबीआई डायरेक्टर को छुट्टी पर भेजने का अधिकार सरकार को है?
★दुसरा प्रश्न यह है कि क्या सीबीआई के डायरेक्टर बिना किसी FIR पर या बिना SC आदेश पर राफेल डील जैसे बड़े मुद्दे की जांच शुरू कर सकते है जैसा कि राहुल गांधी कह रहे है। अगर जांच शरू कर दिया ही था तो इसका पता राहुल गांधी को कैसे चला।
★तीसरा और महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि जब सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की नियुक्ति हुई थी तब भी नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे इसका विरोध कर रहे थे और जब उनको छुट्टी पर भेजा गया तो इसका भी विरोध कर रहे है। इतना ही प्रशांत भूषण ने तो आलोक वर्मा की नियुक्ति को रोकने के लिए उस समय SC में याचिका दायर की थी जिसे SC ने खारिज कर दिया था। और आज सीबीआई डायरेक्टर को हटाये जाने पर भी SC में फिर याचिका दायर किया। क्या इससे ये नही साबित होता कि कुछ लोग केवल और केवल विरोध करने का ही एजेंडा चला रहे हैं।
प्रश्न कई खड़े होते है जो कहीं न कहीं सीबीआई की साख पर बट्टा लगाते है और राज नेताओं की पोल भी खोलते हैं।
★पहला प्रश्न यह है कि क्या जब सीबीआई डायरेक्टर को PM, CJI तथा LOP चुनते है तो क्या सीबीआई डायरेक्टर को छुट्टी पर भेजने का अधिकार सरकार को है?
★दुसरा प्रश्न यह है कि क्या सीबीआई के डायरेक्टर बिना किसी FIR पर या बिना SC आदेश पर राफेल डील जैसे बड़े मुद्दे की जांच शुरू कर सकते है जैसा कि राहुल गांधी कह रहे है। अगर जांच शरू कर दिया ही था तो इसका पता राहुल गांधी को कैसे चला।
★तीसरा और महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि जब सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की नियुक्ति हुई थी तब भी नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे इसका विरोध कर रहे थे और जब उनको छुट्टी पर भेजा गया तो इसका भी विरोध कर रहे है। इतना ही प्रशांत भूषण ने तो आलोक वर्मा की नियुक्ति को रोकने के लिए उस समय SC में याचिका दायर की थी जिसे SC ने खारिज कर दिया था। और आज सीबीआई डायरेक्टर को हटाये जाने पर भी SC में फिर याचिका दायर किया। क्या इससे ये नही साबित होता कि कुछ लोग केवल और केवल विरोध करने का ही एजेंडा चला रहे हैं।
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