कोरोना वायरस से विश्व की चुनौतियां
'कोरोना वायरस' शायद यह शब्द पिछले तीन महीने में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बोला जाने वाला शब्द बन गया होगा। भारत में तो इस शब्द की पराकाष्ठा ही हो गयी, यहाँ कोई कोरोना के नाम पर गाना बना रहा है तो कोई चुटकुले बना रहा है तो कोई मुहावरों की तुकबन्दी सेट कर रहा है। लेकिन इस कोरोना का संकट जो भारतीयों समेत पूरी दुनिया के ऊपर पड़ रहा है। वो चिंता का विषय है। बड़े बड़े देश जो कि अपने आप को सुपरपॉवर कहते थे, दुनिया की किसी भी चुनौतियों से निपटने के लिए सदैव तैयार रहते थे। वो देश इस अदृश्य चुनौती से पार पाने में पूरी तरह से असमर्थ रहे। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, बेल्जियम, स्पेन, रूस, जापान, जर्मनी, ब्राजील समेत और भी कई देश हैं जो इस लड़ाई में जूझते नजर आएं हैं। चीन की बात यहाँ इसलिए नही की गई, क्योंकि दुनिया की अधिकतर एजेंसियां चीन को ही इस वायरस का कारण मानती है। कुछ ने दावा किया कि यह वायरस चीन के वुहान शहर में स्थित एक बायोलेट्री लैब में बनाया गया। यह लैब उस सी-फ़ूड मार्केट से 150 KM की दूरी पर है। जहाँ इस कोरोना वायरस का पहला केस सामने आया था। कुछ एजेंसियों ने चीन के लोगों के खान पान पर भी सवाल उठाया। कुछ ने कहा कि ये कोरोना वायरस चमगादड़ से इंसानों में प्रवेश किया है। फिलहाल तो इस पर कई मत है। जब दुनिया ने चीन पर सवाल उठाया तो चीन भी कहाँ कम था, चीन ने भी इसे अमेरिकन आर्मी की साजिश बता दिया। और उधर वाशिंगटन में हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प इस कोरोना वायरस को चाईनीज वायरस का नाम दे रहे थे। दोनों के अपने अपने दावे थे। लेकिन आज पूरी दुनिया इस वायरस से लड़ने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही है। लगभग सभी देशों ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। भारत ने भी देशव्यापी लॉकडाउन का ही रास्ता चुना। मेडिकल टीम और साइंटिस्ट इस बीमारी की वैक्सीन बनाने में लगे हैं। भारत में बनने वाली हाईड्रॉक्सिक्लोरोक्विन नाम की दवा जो कि खूब चर्चा में है। अमेरिका सहित 30 से ज्यादा देश इस दवा को भारत से मांग रहे हैं। मूलतः यह मलेरिया की दवा है। आज जब यह लेख लिखा जा रहा है भारत में कोरोना के 9000 से अधिक मामले सामने आ गए हैं। कई राज्य सरकारों ने लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। अब भारत के सामने कोरोना के साथ साथ अर्थव्यवस्था का संकट खड़ा हो गया है। कुछ इकोनॉमिस्ट का कहना है कि भारत को 11 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो सकता है। कुछ विशेषज्ञ भारत में गरीबी और भुखमरी बढ़ने के संकेत दे रहे हैं। एक तरफ भारत इस वायरस से लड़ रहा है दूसरी तरफ भारत में कुछ अराजक तत्व भी हैं जो इस बीमारी को हराने के बजाय, इसे फैलाने में लगे हैं। न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं न लॉक डाउन को मान रहे हैं। फिजूल ही सड़को, गलियों में घूम रहे हैं, और प्रशासन के लिए चुनौती बन रहे हैं। सभी लोगों को मिलकर इस बीमारी से पार पाना होगा। केवल सरकार या केवल जनता अकेले इस बीमारी से नहीं लड़ सकती। सरकार और जनता दोनों को मिलकर इस कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ना होगा। तभी इस लड़ाई में जीत दर्ज की जा सकती है।
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