अमेरिका में नस्लीय संघर्ष के दौरान हिंसा
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अमेरिका में अश्वेतों का प्रदर्शन |
मिनिपोलिस, अमेरिका: मिनिपोलिस शहर में पिछले दिनों एक अश्वेत नागरिक को पुलिस ने नकली नोट चलाने के जुर्म में हिरासत में लिया। जब वह व्यक्ति इधर उधर भागने लगा तो एक पुलिसकर्मी ने उस व्यक्ति को जमीन पर गिरा कर अपना घुटना उसकी गर्दन पर रख दिया। पुलिसकर्मी ने लगभग आठ मिनट तक उसकी गर्दन दबाये रखा। जिससे उस व्यक्ति का दम घुट गया और उसकी जान चली गयी। वह व्यक्ति लगातार पुलिस से कह रहा था कि वह सांस नही ले पा रहा उसकी गर्दन से पैर हटा लीजिए। लेकिन पुलिस ने उसकी एक न सुनी और उसकी मृत्यु हो गयी। उसके बाद इस घटना का वीडियो फूटेज पूरे मिनिपोलिस शहर में फैल गया। जिसके कारण वहां के अश्वेत नागरिकों में गुस्सा फूट पड़ा और वो सड़कों पर निकल गए और प्रदर्शन करने लगे। धीरे धीरे यह प्रदर्शन पूरे अमेरिका में फैल गया। फिर यह प्रदर्शन हिंसा लूटपाट और आगजनी में बदल गया। राजनीतिक दलों ने भी इस पर राजनीति शुरू कर दी। जिसके बाद में मिनिपोलिस पुलिस ने लोगों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी लेकिन हिंसा फिर भी नही रुकी।
महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़
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घाना यूनिवर्सिटी में गांधी की प्रतिमा के साथ दुर्व्यवहार |
अमेरिका; वही अश्वेतों और पुलिस के बीच जारी संघर्ष के बीच घाना यूनिवर्सिटी में लगी महात्मा गाँधी की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार रूपी कार्य किया गया। महात्मा गाँधी के प्रतिमा पर आपत्तिजनक चित्र बनाये गए उनका अपमान किया गया। भारत में कुछ लेफ्ट लिबरलों ने भी अमेरिका में हुये हिंसा और प्रदर्शनों को कुछ लोगों ने वैचारिक समर्थन दिया। उन्होंने भारत के लोगों को अमेरिका से सीखने तक कि सलाह दे डाली। अब जब प्रदर्शनकारियों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा का अपमान किया तो यहां के लेफ्ट लिबरल चिंतक असमंजस में हैं। सवाल ये है कि भारत के राष्ट्रपिता का अपमान करके प्रदर्शनकारी क्या हासिल करना चाहते हैं। भारत सरकार ने महात्मा गांधी के अपमान पर प्रदर्शनकारियों की आलोचना की है और वहाँ के प्रशासन से कार्यवाही की मांग की है।
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